भारतीय संस्कृति की झलक: होली की रंगत और हमारी पाठशाला ज्ञान और उमंग का अनूठा संगम
देखते ही देखते एक साल बीत गया और नए साल की शुरुआत हो गई, साथ ही शुरुआत हो गई त्यौहारों की भी।
विश्व में सबसे ज्यादा त्यौहार हमारे देश भारत में ही मनाये जाते हैं।
त्यौहार का अर्थ है ‘प्रति वर्ष किसी निश्चित तिथि को मनाया जाने वाला कोई धार्मिक या सांस्कृतिक उत्सव’।
साल की शुरुआत हमने मकर संक्रांति से की, उसके बाद हमने मनाई बसंत पंचमी और शिवरात्रि, फिर आया रंगों का त्यौहार होली। होली भारत का दूसरा सबसे बड़ा त्यौहार है एवं बसंत ऋतु के आगमन का भी प्रतीक है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए होलिका का दहन किया था। इसी वजह से प्रतिवर्ष ‘बुराई पर अच्छाई’ की विजय के उपलक्ष में होली का यह त्यौहार मनाया जाता है।
होली के दिन लोग रंगों से होली खेलते है, होली के गीत गाते हैं और तरह-तरह की मिठाइयों का आनंद लेते हैं।
हमारी पाठशाला के बच्चों ने भी बहुत उत्साह पूर्वक होली के त्यौहार को अपनी-अपनी कक्षाओं में मनाया।
नोविस-१ की कक्षा में होली की कहानी एवं होली के महत्व को बताया गया।
नोविस-२ के बच्चों ने होली प्रोजेक्ट बनाया और उसे कक्षा में प्रस्तुत किया।
नोविस-३ के बच्चों ने होलिका दहन की कहानी सुनाई और होलिका दहन के चित्र को रंगों से सजाया।
इंटरमीडिएट के बच्चों ने होली की महत्वता को दर्शाते हुए रंग-बिरंगा प्रोजेक्ट बनाकर अपनी कक्षा में प्रस्तुत किया।
सभी कक्षाओं की अध्यापिकाओं ने बच्चों को अबीर और गुलाल का तिलक लगाकर बच्चों को होली की शुभकामनाएँ दीं साथ में बच्चों ने होली की मिठाई का आनन्द उठाया।
बच्चों ने अत्यन्त उत्साह से विभिन्न गतिविधियों में भाग लिया। यह अत्यन्त प्रसन्नता की बात है कि हमारी पाठशाला के विद्यार्थी हिन्दी भाषा सीखने के साथ-साथ भारतीय संस्कृति के बारे में भी जान रहे हैं। कहा भी गया है-
“ज्ञान ही शक्ति है”